Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Jul-2022 अपनी सोच का गुलाम


माना कि उसके आशिको की कतारे कम नहीं
मगर क्या काम की वो कतारे जिसमें हम नहीं

नशा हम भी करते हैं हर शाम दोस्तो के साथ
मगर वो चाय की प्याली है शराब का कोई जाम नहीं

इस दिल को खुश रखना चाहते है उम्र भर के लिए
शायद तभी मुहब्बत की महफ़िल में हमारे लिए कोई इंतज़ाम नहीं

सियासत और मुहब्बत दोनो हमें लिखने पे मजबूर करती है
वरना मेरे जैसे आदमी के कमरे में कलम का कोई काम नहीं

लोग खामखा में एक दूसरे का खून बहा रहे है "सौरभ"
ऐसे कामों से सियासत मुस्कुराती होगी,राम रहीम नहीं।

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20 Comments

Rahman

19-Jul-2022 09:28 AM

Osm

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Saurabh Patel

19-Jul-2022 01:36 PM

Thanks

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jul-2022 04:10 PM

बहुत खूबसूरत

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Saurabh Patel

18-Jul-2022 04:46 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Shrishti pandey

18-Jul-2022 10:43 AM

Nice

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Saurabh Patel

18-Jul-2022 12:24 PM

Thank you

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